वीडियो जानकारी:<br /><br />१९ अप्रैल, २०१८<br />अद्वैत बोधस्थल, ग्रेटर नॉएडा<br /><br />प्रसंग:<br />लिङ्गं चानेकसंयुक्तं चलं दृश्यं विकारि च ।<br />अव्यापकमसद्रूपं तत्कथं स्यात्पुमानयम् ॥ ३९॥<br /><br />भावार्थ: सूक्ष्म देह भी अनेक तत्वों का संघात, चलायमान, दृश्य, विकारी, अव्यापक और असत्स्वरूप है, वह भी पुरुष कैसे हो सकता है?<br /><br />~ अपरोक्षानुभूति<br /><br />अपरोक्षानुभूति को कैसे समझें?<br />झीनी माया और मोटी माया में क्या अंतर है?<br />साधना में झीनी माया क्यों अधिक खतरनाक है?<br /><br /><br />संगीत: मिलिंद दाते